A Secret Weapon For Shiv chaisa
A Secret Weapon For Shiv chaisa
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वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे। छवि को देखि नाग मन मोहे॥
जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी ।
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भजन: शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ more info अनादि भेद नहिं पाई॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे। सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके। कानन कुण्डल नागफनी के॥
अर्थ- आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले कमल के समान दिखाई देते हैं। कार्तिकेय व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता।
श्रावण मास विशेष : शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ,देगा मनचाहा लाभ